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कुछ जोड़े हैं मैंने भी पैसे,
आम दुनिया वालो की तरह,
पर ना ईंट, ना मिट्टी, ना ही सोना
खरीदना मुझे रास आया।
आम दुनिया वालो की तरह,
पर ना ईंट, ना मिट्टी, ना ही सोना
खरीदना मुझे रास आया।
एक कलम, ढेर सारा काग़ज,
और स्याही की बड़ी बोतल,
और उनसे ही एक पाक़ दुनिया बनाने की,
कोशिश में लगा हूँ सुबह, दोपहर और शाम।
और स्याही की बड़ी बोतल,
और उनसे ही एक पाक़ दुनिया बनाने की,
कोशिश में लगा हूँ सुबह, दोपहर और शाम।
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