lost soul 2

Monday, 9 January 2017

बस हलके से लबो से छुआ, कहीं तुम मीठे सपनों से जग ना जाओ।



और सुबह की पहली सुनहली किरण,
जब तेरे प्यारे मुखड़े पे पड़ी।
कुछ यूँ  ही रह गया देखता मैं,
तुम सच में हो या देखता मैं स्वपन कोई।

तेरे गुलाबी अधर, 
बंद पलकें।

चाहा बहुत रोक लूँ ,
 ना रोक सका खुद को। 

बस हलके से लबो से छुआ,
कहीं तुम मीठे सपनों से जग ना जाओ।

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