lost soul 2

Sunday, 21 September 2014

क्यूँ की चेहरे पर नक़ाब ओढ़ने की आदत, सुना था ज़माने की होती है....


मेरे हँसते हुए चेहरे की कहानी कुछ और है,
झूठी मुस्कराहट के पीछे आँखों का पानी कुछ और है।

कभी अनजाने में मिले अगर दुबारा हम फिर कभी,
गुजर जाएंगे बिलकुल अनजानों की तरह।

क्यूँ की चेहरे पर नक़ाब ओढ़ने की आदत, सुना था ज़माने की होती है,
अब उनलोगों में शामिल तुम भी हो, हम भी हैं। 

V.P. "नादान"
  दिंनाक-२१.०९.२०१४  

3 comments:

  1. @Maniparna Sengupta Majumd:reality is most of the time sad :(

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  2. I agree with your point...

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  3. @Maniparna Sengupta Majumd: most of the time reality is sad.

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